ऐसे पूरी हुई प्रक्रिया
स्वीडन की इस महिला का जन्म से गर्भाशय नहीं था। यह स्थिति 4500 में से एक महिला में देखी जाती है। उसे एक 61 वर्षीय पारिवारिक महिला मित्र ने अपना गर्भाशय दिया, जिसे सात साल पहले मेनोपॉज हो गया था। गर्भाशय देने वाली महिला के दो बच्चे हैं। प्रत्यारोपण के बाद 36 वर्षीय महिला को प्रतिरोधी क्षमता कम करने वाली दवाएं दी गईं ताकि शरीर नए अंग को स्वीकार कर सके। जिसके बाद इस साल जनवरी में महिला के गर्भाशय में आईवीएफ तकनीक से भ्रूण ट्रांसफर किया गया। प्रत्यारोपित गर्भाशय के जरिए पिछले महीने एक बेटे का जन्म हुआ। साढ़े सात महीने में पैदा हुए इस बच्चे का वजन केवल 1.8 किलो था, लेकिन अब उसकी स्थिति में सुधार हो गया है।
पहले भी हुए हैं प्रयास
स्वीडन की इस घटना के पहले सऊदी अरब और तुर्की में भी दो मेडिकल टीमों ने गर्भाशय प्रत्यारोपण के बाद बच्चे के जन्म का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं रहे। एक मामले में गर्भाशय को संक्रमण और बीमारी की वजह से तीन महीने बाद ही हटाना पड़ा। दूसरे मामले में गर्भपात हुआ। इसके अलावा, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस समेत कई देशों में मृत महिला के गर्भाशय को लेकर प्रत्यारोपण करने के प्रयास जारी हैं। इस टीम ने सफलता हासिल कीप्रत्यारोपित गर्भाशय से बच्चे का जन्म करवाने वाली टीम का नेतृत्व प्रो. मैट्स ब्रानस्ट्रॉम ने किया।
ब्रानस्ट्रॉम ने ही महिला की डिलीवरी करवाई। उन्होंने कहा, "ये हमारी टीम के लिए बेहद खुशी की बात है क्योंकि वे 10 साल से अध्ययन कर रही थी। इससे उन महिलाओं को भी मदद मिलेगी, जो इनफर्टिलिटी से गुजरती हैं।" प्रोफेसर ने बताया कि वे ऐसी ही आवश्यकता वाली आठ दंपतियों का इलाज कर रहे हैं। यह निःसंतान दंपतियों के लिए भी एक विकल्प साबित हो सकता है।